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हिंदी सिनेमा की दुनिया की यह खासियत रही है कि यहाँ माँ के किरदार को अलग-अलग अंदाज में प्रस्तुत किया जाता रहा है, ऐसे में माँ केवल हंसी-मजाक वाली माँ के रूप में ही फ़िल्मी पर्दे पर नहीं आयी हैं, बल्कि अपने बच्चे के लिए उन्होंने कई ठोस कदम उठाये हैं। रवीना टंडन, साक्षी तंवर, कृति सैनन से लेकर कई अभिनेत्रियों ने माँ के किरदार में एक अलग परिभाषा गढ़ी है। मदर्स डे के बहाने, कुछ ऐसे ही किरदारों को मैं सलाम कर रही हूँ।
साक्षी तंवर का किरदार हाल ही में आई सीरीज माई में खूब पसंद किया गया है। इस सीरीज की कहानी में एक आम माँ, जो कि अपनी बेटी से बेइंतहां प्यार करती है, अचानक उसकी मौत हो जाती है, ऐसे में वह उसकी मौत के पीछे की गुत्थी को सुलझाने के लिए खुद ही कदम उठाती है, किस तरह वह अपनी बेटी की मुजरिम तक पहुँच पाती है, यह देखना इस कहानी में दिलचस्प है। एक माँ के अलग ही रूप को इस सीरीज में दिखाया गया है।
कृति सैनन ने भी मिमी फिल्म में एक अद्भुत किरदार निभाया है, जिसमें वह एक सरोगेट मदर की भूमिका में हैं, जो अपने कोख में पल रहे बच्चे को बचाने के लिए पूरे समाज से लड़ जाती है। इस कहानी में कृति ने अपने किरदार से काफी इमोशनल किया है और लाजवाब काम किया है। माँ के रिश्ते की अद्भुत कहानी है यह फिल्म।
रवीना टंडन की फिल्म मातृ ऐसी माँ की कहानी है, जो अपनी बेटी की मौत पर रूद्र रूप लेती है और अपना बदला लेकर ही मानती है। कहानी में काफी ट्विस्ट और टर्न है, जो माँ की ताकत को दर्शाते हैं।
निल बट्टे सन्नाटा एक ऐसी औरत की कहानी है, जिसमें एक माँ अपनी बेटी की नजर में सम्मान हासिल करने के लिए, अपनी पढ़ाई पूरी करने की चाहत रखती है। फिल्म में स्वरा भास्कर ने एक माँ की भूमिका निभाई है, जो कि लोगों के घर हाउस हेल्प का काम करती है, लेकिन अपनी बेटी को बेस्ट चिकित्सा देना चाहती है।
माँ की कहानी को लेकर काजोल की फिल्म हेली कॉप्टर elaआयी थी, जिसमें एक सिंगल माँ की इन्सेक्योरिटीज को खूबसूरती से दिखाया गया है। फिल्म में उनका किरदार काफी मजेदार रहा है।
त्रिभंगा की कहानी भी अद्भुत तरीके से कही गई है, जिसमें काजोल और तन्वी आजमी के बीच, माँ-बेटी के कॉम्प्लेक्स को बहुत ही खूबसूरती से प्रस्तुत कर दिया गया है और फिल्म कमाल लगी है। फिल्म में ऐसे कई इमोशनल मोमेंट्स हैं, जो इंस्पायर करते हैं।
हाल ही में विद्या बालन की फिल्म जलसा आई थी, उस फिल्म में विद्या बालन ने एक cerebral palsy से ग्रसित बच्चे की माँ की भूमिका निभाई है, उसकी क्या परेशानियां और चिंताएं होती हैं, उसे अच्छे से दर्शाया है। साथ ही कहानी में भी विद्या ने उस इमोशन को जिया है कि आखिर एक माँ जब अपने बच्चे को जन्म लेने से पहले ही खो देती है, तो वह पीड़ा क्या होती है। फिल्म पा में भी सिंगल मदर के रूप में progeria से ग्रसित बच्चे की माँ की भूमिका को जबरदस्त तरीके से दर्शाया है।
इंग्लिश-विंग्लिश में श्रीदेवी अपनी बेटी को नजरों में सम्मान हासिल करने के लिए इंग्लिश सीखती है, एक माँ के अस्तित्व और सम्मान की यह कहानी भी मेरे दिल के हमेशा ही करीब रहेगी।
वैसे तो नीरजा पूरी तरह से एक एयर होस्टेज की कहानी पर आधारित है, लेकिन इस फिल्म में शबाना आजमी के साथ सोनम कपूर के रूप में बेटी का जो किरदार नजर आता है, वह काफी प्यारा रिश्ता है और काफी इमोशनल करता है।
मजेदार मॉम के किरदारों की बात की जाए, तो विक्की डोनर में आयुष्मान खुराना की माँ डौली अहलूवालिया, खूबसूरत और दोस्ताना फिल्म में किरण खेर, खूबसूरत और कपूर एन्ड संस में रत्ना पाठक शाह ने ऐसे कई मजेदार किरदार निभाए हैं, जिसमें माँ के हास्य रस दर्शकों के सामने आया है।
दरअसल, हिंदी सिनेमा में इन अभिनेत्रियों ने माँ की दुनिया को अपने-अपने तरीके से दर्शाने की और उनके पहलुओं को साबित करने की कोशिश की है और जो कि बिल्कुल कमाल की बात है और अपने आप में शानदार मिसाल भी है।
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